संदीप कुमार सिंह 23 Nov 2023 कविताएँ धार्मिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगें। 3968 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:-दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" छठ माई की शाम पर,सजा हुआ है घाट। पूजा पूजा मय हुआ,अनुपम है नव ठाट।। छठ माई की शाम है,आज सुहानी खूब। तारे आज जमीन पर,सपने हो मंसूब।। छठ माई की शाम ने,करी धरा गुलजार। लिए सुबह की आस है,अदभुत मिले बहार।। छठ माई की शाम पर,देख डूबते सूर्य। अर्ध्य भरे सब डाल से,करते विनती पूर्य।। छठ माई की शाम ने,लाई है बस हर्ष। कल सब उगते सूर्य से,मांगे हर उत्कर्ष।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....