संदीप कुमार सिंह 30 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित मे है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4927 0 Hindi :: हिंदी
दोहा छंद पात पात पीले हुए,गिरते हैं दिन रात। नव कोपल अब वृक्ष में,लगते हैं अभिजात।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....