Ritvik Singh 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Google Yahoo Bing 22021 0 Hindi :: हिंदी
मै ख़ामख़ा तुझसे उमीद लगाये बैठा हूँ दिल की इस बँजर ज़मीन पे तेरे प्यार के निशान छिपाये बैठा हूँ कभी तेरा इंतज़ार तो कभी तेरी एक झलक के लिए मैं आँख खोलकर ख़्वाब सजाये बैठा हूँ कभी कभी टूट जाता हूँ शायद एसलिए की समझेगी मुझे तूँ कभी लेकिन मैं ख़ामख़ा तुझसे उमीद लगाये बैठा हूँ ॥ तुमने बताया था कि मुझे यें आसमाँ चाँद तारे कितने पसंद हैं मैं कब से इन्हें तेरे लिए सजाये बैठा हूँ तू शायद मिलेगी मुझे कभी मैं बस इस उमीद पे दिल लगाये बैठा हूँ कि अब कुछ नही है छिपाने को क्यूँकि सारें राज़ तों दिल में दबाये बैठा हूँ मै ख़ामख़ा तुझसे उमीद लगाये बैठा हूँ :- Ritvik Singh