Bholenath sharma 23 Jul 2023 कविताएँ समाजिक 6125 0 Hindi :: हिंदी
कि वह रहता है वह कैसा अकेला मन इस जगत में । रोज एक ही कार्य मे वह ऊबता होगा इस जगत में । कैसे रहता होगा अकेला उसका मन ।या फिर भटकता ही रहेगा उसका मन । न किसी से प्रीत हैन किसी से नफरत । जो देना है वो देगा और पूरी करेगा जरूरत ।