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बैठो रजाई में सिकुडो- सर्दी में कुकरावै

Adesh Kumar 30 Nov 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग मजेदार हास्य कविता, हास्य कविता, Kavita in hindi,बाल हिन्दी कविता,Kavita kavita,Kavita kosh,छोटी सी कविता हिन्दी में,मजेदार हास्य कविता,hasya kavita in hindi pdf,hasya kavita in hindi lyrics,विद्यार्थी जीवन पर हास्य कविता,हास्य कविता pdf, छोटी हास्य कविता पर हास्य कविता,poetry in hindi, 8043 0 Hindi :: हिंदी

बैठो रजाई में सिकुडो, सर्दी में कुकरावै !
बुढिया घर में भात बनाऐ,बुड्ढा बाहर से डकरावै !! 
ऐरी लाये दे दियासलाई ,थोड़ी घास में बारूं
ठंड से कपि रहे प्रान, मैं थोड़ी आंच पजारूं !! 
जब बुढिया अन्दर से आई भरि थरिया लाई भात, 
भात खाये डुकरा ऐडानो तब तक है गई रात !! 
तब तक है गई रात डुकरिया डुकरा को दै गई चूना पत्ती की पुड़िया, 
डुकरा सोये गऔ छप्पर में जाये भीतर सोई बुढिया!! 
धरी आरे में डिब्बी धीरै धीरै मिलकावै, 
ठंडी ठंडी हवा करारी सीधी छप्पर में आवै !! 
भोर भऐ बुढिया जगि आई बुड्ढा धीरैं धीरैं टारैं, 
सर्दी में गओ ऐंठ डोकरा रह गओ खींसैं फारै !! 
जो कोई आवै सो यही बोलै जय गोकुल के नन्द, 
पर ना कोई समझै  परी करारी आज पूस की ठंड !! 
                  धन्यवाद

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