संदीप कुमार सिंह 25 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 11300 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_रोला छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" होगा रावण अंत,वनवास का दिन अंतिम। सबके मुख पर राम,पुरुष जो हैं अति उत्तिम। राजपाट का त्याग,किए बनकर वनवासी। मारे गिनकर दैत्य,बड़े ही वे अभ्यासी।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....