BALDEV RAJ 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक अकलेपन का ईलाज 16234 0 Hindi :: हिंदी
अकलेपन का ईलाज -अपनो का साथ काफी समय से दादी बहुत बिमार थी, घर में उन की देखभाल करने वाला कोई नहीं था, डाक्टर ने भी ठीक होने की सम्भावना न के बराबर बता कर घर पर सेवा करने की सलाह दी, क्योंकि दवाई काम नहीं कर रही थी | अब घर पर उन की देखभाल के लिए एक नर्स एवं हैल्पर की व्यवस्था करनी पड़ी, हमें भी होस्टल से वापिस बुला लिया गया, माता- पिता की सर्विस होने के कारण घर पर कोई न था | दोनों बच्चे दादी को बारी-बारी देखने जाते, एक दिन दादी ने जब आंखें खोली तो बच्चों की खुशी कि ठिकाना न रहा, और दादी से लिपट गये, दादी से बाते करने लगे | दादी! आप तो खाना बहुत अच्छा बनाते हो, होस्टल का खाना हमें अच्छा नहीं लगता, हम आप के हाथ का बना खाना खायेंगे, क्या आप हमारे खाना बनाओगी ? नर्स ने बच्चों को डांटा तो दादी को अच्छा नहीं लगा, उसने नर्स से कहा बच्चों को डांटने की आवश्यकता नहीं, इस पर नर्स ने कहा कि ये आप को परेशान कर रहे हैं, आराम नहीं करने देते | मैं तो आप के भले के लिए कह रही हूं | दादी बोली तुझे क्या पता इन बच्चों से बातें करके मेरे को अच्छा लग रहा है और नहाने को भी मन कर रहा है, मुझे बाथरूम ले चलो, मैं फ्रैश होना चाहती हूं | नर्स हैरान थी! कल तक तो कोई भी दवाई काम नही कर रही थी, इतना बदलाव उस की समझ से बाहर था | नर्स दादी को बाथरूम में ले गयी, नहाने के बाद दादी, नर्स को रिकवेस्ट करने लगी कि, वह उन की किचन में मदद करे, पहले तो नर्स ने मना किया कि आप की तबियत ठीक नहीं है, पर दादी कहाँ मानने वाली थी, कुछ देर सोचनें के बाद दादी की आंखों में चमक देखकर वह उन्हें किचन में ले गयी, और मदद करने लगी | दादी ने ् हमारी पसंद का खाना बनाया, सब मिलकर किचन में नीचे चटाई पर बैठ कर खाने लगे, ऐसा लग रहा था, कि दादी कभी बिमार थी ही नहीं | उनकी आखों में आंसू देखकर बच्चों ने दादी से बोले क्या हुआ ? कुछ भी तो नहीं, बस तुम्हारे पापा की याद आ गयी थी, कभी वो भी ऐसे मेरे हाथों से खाना खाता था, परन्तु अब तो उसे कामयाबी का ऐसा भूत चढ़ गया है कि न तो उस के पास खाना खाने का वक्त है और न ही मेरे से बात करने का | दादी अब हम तेरे पास रहेंगे, दादी ने कहा तुम्हारे माँ बाप रहने देँगे? यह कहते हुए दादी की आवाज कांप रही थी | बच्चों न कहा हम होस्टल का खाना नहीं खा सकते, हम यहीं रहेंगे तेरे साथ | दादी अब ठीक थी, दादी नर्स को बताने लगी, डाक्टरों के पास अकेलेपन का कोई इलाज नहीं है, पहले सयुंक्त परिवार के कारण लोग 100 -100 वर्ष तक जीते थे, अपना सभी कार्य स्वयं करते थे | दादी ने नर्स का आभार प्रकट किया और कहा मैं अब स्वस्थ हूँ, फिर हमारे से बाते करने लगी | मम्मी पापा दादी को स्वस्थ देखकर बहुत खुश थे, उनको अपनी गलती का एहसास हो गया था | माँ बाप को आप से कुछ नहीं चाहिए, उन्हें चाहिए बस आप का थोड़ा सा समय, वो भी आप का सुख- दुख जानने के लिए |