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उस रात का सच-एक महिला बिलखती हुई उसके पीछे पीछे चल रही थी

DINESH KUMAR KEER 20 Jun 2023 कहानियाँ अन्य 5760 0 Hindi :: हिंदी

उस रात का सच 

  
 वह लड़की का हाथ पकड़े, उसे  प्लेटफार्म से खींचते हुए बाहर ले जाने की कोशिश में लगा हुआ था। लड़की रोते हुए, छूटने के लिए पूरी ताकत लगा रही थी। 
   एक महिला बिलखती हुई उसके पीछे - पीछे चल रही थी।
  अचानक लड़की उस आदमी के हाथ से छूट गई।
   लड़की दौड़ने लगी।
  वह पीछे - पीछे दौड़ा और उसने उसे पकड़ लिया।

"क्या कर रहे हो ? क्या हो गया ?" एक यात्री ने उसे टोका।
    " तुम चुप रहो। मैं इसका बाप हूँ। यह इसकी माँ है। तुमको कुछ मालूम नहीं है। अपना काम करो।"
        यात्री वहाँ से थाने की ओर चल दिया।
        कुछ देर बाद वे तीनों थाने में खड़े थे।
       " इतनी रात को प्लेटफार्म पर क्या हंगामा कर रहे हो ?" महिला इंस्पेक्टर ने तीनों को पैनी नजर से देखते हुए पूछा।
       " यह मेरी बेटी है। घर से बनारस के लिए निकली थी। मालूम पड़ा तो यहाँ आकर इसे पकड़ा।" पिता ने अपनी सफाई दी।
         माँ, सुबकने लगी। 
       "चल लड़की,  मेरे साथ अंदर चल।" इंस्पेक्टर ने लड़की की बाँह पकड़ी।
        " कुर्सी पर बैठ जाओ। अब बताओ  क्या बात है ?" इंस्पेक्टर की पैनी नजरें उस पर थीं। 
        " मुझे बनारस जाना है। मुझे वहाँ पहुँचा दीजिए।" लड़की रोते - रोते हाथ जोड़ रही थी।
        " वहाँ क्या है ?" 
        " उसने मुझे बुलाया है। हम शादी करेंगे।" लड़की के स्वर में विश्वास था।
        " अच्छा तो प्रेम विवाह का मामला है। उसे कैसे जानती हो ?"
        "  महाविद्यालय में पढ़ाई के समय में फर्स्ट ईयर में साथ था। फिर उसके पापा जी का स्थानांतरण हो गया।" लड़की अब कुछ संभल चुकी थी।
       " तेरी अब महाविद्यालय की पढ़ाई पूरा हो गया?"
       " इस साल बी. ए. हो गया।"
       " उसका?"
       " बनारस में हो गया होगा।" उसके स्वर में अनिश्चितता थी।

        "उसके माँ जी - पिता जी तैयार हैं।" 
       " हाँ, उसने कहा है।" उसके स्वर में निश्चिंतता थी।
       " तुम्हारे तैयार नहीं हैं।
       " हाँ, उन्हें वह पसंद नहीं। वे दूसरा तलाश कर रहे हैं।" लड़की के स्वर में दूसरे के प्रति विरोध झलक रहा था। 

         "यह पक्का है कि वह बनारस में शादी कर लेगा?"
         " हाँ।" 
         " एक काम करो। उसे फोन लगाओ। मुझसे बात कराओ।"
         "जी।"
         लड़की ने फोन लगाया। लड़के ने तुरंत उठाया।
        "लाओ, मुझे दो।" इंस्पेक्टर ने मोबाइल स्पीकर पर कर दिया।
      अब मोबाइल इंस्पेक्टर के हाथ में था।
    " मैं रेल्वे थाने से बोल रही हूँ। तुम जिसे शादी के लिए बुला रहे हो, वह मेरे पास बैठी है। इसके माता - पिता को मैंने राजी कर लिया है। हम तुम दोनों की शादी करा देंगे। तुम अपने माता - पिता के साथ यहाँ आ जाओ।"
      " वह थाने में... आपके पास ? " लड़के की आवाज़ लड़खड़ाने लगी थी।
       
      " क्या हुआ यार! चिड़िया नहीं फँसी क्या? हम सबके मजे हो जाते।" उधर से कोई ठहाका लगाते हुए कह रहा था।

      "कमीना।" कहते हुए इंस्पेक्टर ने मोबाइल बंद कर दिया।
      इंस्पेक्टर, लड़की का कंधा थपथपा रही थी।

      लड़की का क्रंदन दीवारों से टकरा रहा था।

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