Rani Devi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक साँची धूप काव्य, वक़्त का पहिया, गणतंत्र दिवस 66853 0 Hindi :: हिंदी
स्वछंद आसमां ए कलम कुछ लिख दे ऐसा जो मानव को सबक सिखाये धरती को तो बाँट लिया है आसमां ही बच जाए मानव की तो मति बड़ी है भव की चिंता उसे सताये धरती को तो बीन दिया है अब चाँद पे महल बनाये मंजिल पे मंजिल को चढ़ाता हर पल तृष्णा उसे सताये धरती का तो स्वरूप न बदला अब मानव को कहाँ बसाए कहाँ रहेंगे वो पंछी परिंदे जो नर जैसी मति न पाए पेड़ों को तो काट लिया है अब घोंसले कहाँ बनाये कहाँ रहेंगे वो जीव और जन्तु जो पाताल में आवास बनाये मानव ने तो पाताल वेद कर मेट्रो दी है चलाये दीन धर्म की बात न पूछो युद्ध विनाश ही उसके मन भाए परमाणु बम्ब की चाहत बड़ी है विनाश मानव जाति का ही चाहे ए कलम कुछ लिख दे ऐसा जो मानव को सबक सिखाये धरती को तो बाँट लिया है आसमां ही बच जाए
Hindi Lecturer in Government school GSSS Karoa Himachal Pradesh....