Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद बिना सहारे के 14698 0 Hindi :: हिंदी
चलता है बिना सहारे के बस आशा की उपेक्षा करता है दे साथ तू उसका, यही आश रखता है, छूट गया साथ अब तो जमाने से चलता है बिना सहारे के/ बन्द थी आँखें उसकी न देख पाया कभी कहाँ है जाना न सोच पाया कभी, छोड़ दिया अब हाथ न जाने कोन-सी राह पाने से चलता है बिना सहारे के/ हाथ जोड़कर विनती करने लगा है ईश्वर देना साथ उसी का जो छोड़े ना हाथ किसी का, वहाँ से चला गया वो अजनबी जो चलता था बिना सहारे के// लेखक-अजीत