Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक युवा शक्ति 80433 0 Hindi :: हिंदी
हे तेजस्वी, तुम युग के शक्ति आधार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार । तुम चाहो तो ज़र्रे ज़र्रे से पानी निचोड़ दो। है सामर्थ्य तुझमें, बहती दबीज़ धारा मोड़ दो। तूफानों का सीना चीर, जा सकते हो तुम पार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार। तेज़ तेरा देखकर, प्रचंड पवन भी दिशा मोड़ दे। शीतल हो जाए तेज़, तेज़ अग्नि का साथ छोड़ दे। तुम्हारे तेज़ के सामने, मंद खड्ग की धार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार। है सामर्थ्य तुझमें, समुद्र की लहरों को बांध लो। आसमां को छू सकते हो, यदि तुम मन को छांद लो। चांद सितारे कदमों में, सकते हो तुम उतार। इस योग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार। हे तेजस्वी, तुम युग के शक्ति आधार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार। है कौन कर्म ऐसा, जो वश में न तुम्हारे हो। निज ताक़त पहचान कर्म कर, बस तुम मन के हारे हो। उस शक्ति से सुमन बने, कयाम कंटीला ढार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार। यदि तुम नहीं रहोगे, तो नहीं रहेगा यह देश भी। यदि तुम दूषित हो गए, तो कलुषित होगा परिवेश भी। तुम्हारी भुजाओं से बहे, इस देश शक्ति की धार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार। निज की पहचान बनाओ, छोड़ो बीती गाथा को। जलधि ज्वार को रोक सके, वह कुक्षि मिली किस माता को। निज शक्ति को सही दिशा दो, प्रार्थना करे संतोष कुमार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार। हे तेजस्वी, तुम युग के शक्ति आधार। इस युग को बदल दो, संभालो स्वयं ही पतवार।