Bhagyashree Singh 02 Nov 2023 कविताएँ धार्मिक #जय श्री राम #राम विवाह प्रसंग #सिया राम की जय 15616 0 Hindi :: हिंदी
ब्याहन चले रघुराई 🙏🌺 रघु चले सिय संग ब्याह रचाने, चारु वल्लभ बन आए, नर,मुनि,सुर,अयोध्यावासी , बाराती बन कर आए । चहक उठे अयोध्यावासी, गूंज उठी शहनाई, ढोल नगाड़ों और मृदंग संग, खुशियों की रीत मनाई, । सिया स्वयंवर की बेला में, कई अद्भुत मानस आए, शक्ति कला से निपुण कई, उत्कृष्ट प्रतापी आए । आए सभी जनक के बंधु बलशाली नृप आए, देख जनक की सभा सभी, विस्मय लोचन दर्शाए । परशुराम का धनुष बाण, त्रिपुरारीधनु कहलाए, जो शम्भु धनु को करें खंडित, वही सियाकान्त बन पाए । रघु कर प्रणाम गुरु को मन में, अति लान्घव धनुष उठाए, दम दमक दामिनी के समान, धनु नभ मंडल में जाए । जब राम शम्भु धनु तोरा तो, भुवन ध्वनि कठोर घोर आए, तब लोक कटु शब्दो से भरें, सुर असुर बिकल बिचराए । सुन धनु तोरण की गर्जना, भृगु कुल सम परशु आए, दिनकर आभा वृषभ कन्ध सम, पहने मृगछाला आए । जनक पधारे सिर नवाए, सिया बोले प्रणाम कराए, फिर विश्वामित्र मुनि आए, पद सरोज मिले दोऊ भाई, तब विश्वामित्र कहे परशुराम से, दशरथनंदन दोऊ भाई, अजानबाहु रघुनाथ एक, दूजा अनुज लखन कहलाए । परशुराम कहे भरी सभा में, शीघ्र अति शीघ्र बताए, जिसने किया शंभू धनु खंडित, सहस्त्रबाहु सम शत्रु कहलाए । देख परशु के नयन कुटिल, सब भूप डरें थर्राए, भयभीत हुए सुर,नर व मुनि देख कुटिल भूप हर्षाए । परशुराम के सुनत वचन, लखन मन ही मन मुस्काए, कहे मुनि से बचपन में, कई धनु अंश बिखराए । सुन क्रोधित हुए परशुराम, कहे शब्द विराम लगाए, काल के वश में होने से, कटु शब्द अधर पर आए । तब रामानुज कहे मेरे लिए, सभी धनु समान कहलाए, क्या क्षति लाभ धनु खण्डन से, ये कथन समझ ना आए । भान हुआ जब राम सत्य से, श्रीहरि के दर्शन पाए, प्रभु की अद्भुत लीला से, भृगु मन ही मन मुस्काए । देख अवधपुरी के नयनों को, वैदेही शर्मायी, बहनों और सखियों ने मिलकर, अठखेलियाँ सियसंग लगायी । देने अपनी पुत्री को आशीष, वसुन्धरा मां आईं, साथ स्वयं के पूर्ण सृष्टि की, खुशियां है संग लाई । अवधपुरी श्री राम जानकी, के संग ब्याह रचाए, देख देवगण और मुनि, मन ही मन में हर्षाए । देख नारायण की लीला, यह धरती स्वर्ग चकिताएं, देवगणों ने कमल देह पर, पुष्प कई बरसाए । जय श्री राम 🙏🚩 मेरी कलम से, भाग्यश्री सिंह 🖋
मेरा नाम भाग्यश्री है, मैं एक स्नातकोत...