Gopal krishna shukla 11 Aug 2023 कविताएँ समाजिक #love#summer 6913 0 Hindi :: हिंदी
धूप की रंगत तो देखो........... ऐसा लगता है और चढ़ेगी तिलिस्मि काम है इसका इंसान सुखा होगा तो भिगा देगी..... बीती शाम तो चली गयी नहीं पकड़ पाया........ गयी हुई शाम ना जाने किसकी बनेगी शाम की महफ़िल मे बरसती शराब इंसान सुखा होगा तो भिगा देगी अरे करना वजू बाद मे ठहरो जरा रात दरख्तो मे जम सी गयी है अभी उमड़ेगी जब रात यहाँ छाएँगे कुटेव धर सब जगह हैं घने , बौछार घनी पड़ेगी इंसान सुखा होगा तो भीगा देगी ll2 गोपाल कृष्ण शुक्ला