धूप की रंगत तो देखो...........
ऐसा लगता है और चढ़ेगी
तिलिस्मि काम है इसका
इंसान सुखा होगा तो भिगा देगी.....
बीती शाम तो चली गयी
नहीं पकड़ पाया read more >>
मैं कहूँ एक ख्वाब वो
सोचूँ उसे हर रात मे l
उससे नज़र की गुप्तगु
होती नहीं अल्फ़ाज़ से ll
ठहरे हो जो मेरे होंठ पर
शब्दों का है इक गान वो...
read more >>
मैं ना धुंध हूँ ना राख हूँ,
जिंदगी है मौत से मैं मौत के ही पास हूँ ll
राज से द्रोह है ,
और दंश से मोह है ,
कंटको के बीच हूँ मैं
कंटको का लोभ ह read more >>
उड़ चले पर्वत वह भी,
जिनके पास ज़मीन थी l
हर कश्क खत्म,
अश्क में नयन नमl
जीना दुर्लभ है नहीं l
बिन पीर के युद्ध क्या l
मल्ल युद्ध है जिंदगी read more >>