संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी इस कविता को पढ़कर पाठक गण अवश्य ही लाभान्वित होंगें। 9417 0 Hindi :: हिंदी
स्वतंत्रता के बिना जिंदगी बेकार है, यहां धरा पर सबको पूर्ण अधिकार है। चलो यह एक पुनीत कार्य करें, सबको अपने अधिकार के लिए उकसाएं। बड़ा धर्म_कर्म होगा पराधीन को स्वाधीन कर, सबको अपने अन्दर की खुशी को बाहर लाना है। इस जग के सभी झिलमिल सितारें हैं, सब ही एक _दूजे से बढ़कर हैं। सर्व प्राणी में अन्योनाश्र्य संबंध है, एक _दूजे के बिना अधूरा है। इस भावना का ख्याल रखकर, इस अनमोल जीवन को सुवासित करें। पक्षियों को देखो, पेड़ _पौधों को देखो, सर्व जंतुओं को देखो, फिर मनुज स्वयं को देखो। देखो कभी भी जुल्म मत करना, अपने से कमजोर को सताना नहीं। प्यार, दया, ममत्व, अपनत्व, को सदा ही अपने ह्रदय में रखें। आह! की आवेग से आनंदित करें, करुणा, क्षमा, स्नेह को हमेशा बरक़रार रखें। जीव हमारी जाति है, रक्षा करना परम् धर्म है। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....