Bhagyashree Singh 09 Jun 2023 कविताएँ अन्य #प्रेम सशक्ति#प्रेम अर्थ #प्रेम भाव #प्रेम विरक्ति 7321 0 Hindi :: हिंदी
प्रेम सशक्ति प्रेम विरक्ति, प्रेम सशक्ति प्रेम समयुक्ति, मन युगल कही, प्रेम प्रयुक्ति युगल अनुराग, तो प्रेम संयुक्ति आत्म शुद्धि कही, प्रेम चन्द्र सम द्विती अनुपम, तो प्रेम नीर सम निर्मल कही, प्रेम उपवन सा सरल चितवन, तो प्रेम विभ्रांति से मुक्ति कही । प्रेम मानुष का स्वमिलाप , प्रेम बंधनो से उत्कलित कही, प्रेम प्रकाश सा ज्योतिर्मय, तो प्रेम अंतरबोध प्रशस्ति कही । प्रेम निर्मोह भक्ति का मार्ग, तो प्रेम दंभ समर्पण कही , प्रेम कलुषता दूर प्रभाकर, तो प्रेम नवीन प्रभात कही, प्रेम उत्पत्ति वात्सल्य भाव, तो प्रेम लोभ से मुक्ति कही, प्रेम अनुभूति आत्म सामर्थ्य तो, प्रेम अभित्याग सर्वस्व कही । मेरी कलम से भाग्यश्री सिंह 🖋️
मेरा नाम भाग्यश्री है, मैं एक स्नातकोत...