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भ्रष्टाचार-नेताओ अफसरों की कुर्सी के चारों पैरों मे बसा

Ujjwal Kumar 16 Jun 2023 कविताएँ अन्य भ्रष्टाचार 16791 2 5 Hindi :: हिंदी

कल रात बुलेट पर सवार
मिल गया मुझे भ्रष्टाचार ।
मैनें कहा भाई नमस्कार
इस देश को इतनें सालो से चूस रहे हो
बताओ कब यहाँ से प्रस्थान कर रहे हो
तो वो बोला बड़े नादान हो
नासमझ इंसान हो।
तुम ही तो हो जो हमें जानें नही देते
ईमानदारी को आने नही देते।
इतना सुनते ही वो भड़क गया
बड़ी रोबीली आवाज में कड़क गया
बोला मैं इस देश की नश नश में बसा हुँ
नेताओ अफसरों की कुर्सी के चारों पैरों मे बसा हुँ
मैने कहा हम चारो पैर काट फेकेंगे
तुम तो क्या तुम्हारे बाप भी भागेंगे
उसने मुस्करा कर कहा पगले
बड़े आये तुमसे पिछले भी अगले
लोग अगर भ्रष्टाचार को मार गिरायेंगे
तो ये नेता अफसर बेमौत मारे जायेंगे।
गर चाहते हो वाकई मुझे भगाना
तो सीखो पहले हर गलत बात पे आचाज उठाना।
खुद के जमीर को पहले तुम पाक साफ कर लो
मैं तो इसने ही पनपा हुँ चला जाउंगा माफ कर दो।
      

  ✍उज्ज्वल कुमार

Comments & Reviews

Ujjwal Kumar
Ujjwal Kumar Thank you 🌹🌹

10 months ago

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