कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 69154 0 Hindi :: हिंदी
बुलंद ,शहर के दरवाजे पर एक चस्मदीद खड़ा होता है,। कितनी खोखली है,।यह मिनारें,। यहाँ नहीं पहुंचती ,इक हवा ,।जो आयी हो गरीबी के भेष में,। मानो यह बताने,। इस अमीरी कि महफिलों से तो,। गाँव का हर चूल्हा बड़ा होता है,,।। कविता पेटशाली
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