काँच ,बिखरे ,शहर ,
मैं,लहू का अरमान कहां,से लाऊं,
दोषी ,के पैरों में है ,धूप,।
मगर ,अंधा इस देश का कानून ,
मैं, आसमान कहां,से लाऊं,
बहुत,करीब स read more >>
जहर घोलती ,दुनिया ,।काटने को है ,रास्ता,।
दाव,पर है ,पैर,।मगर कटने नहीं दुंगी,।
कर्तव्य पथ पर ,कर्म है,पूजा,।
जहाँ,हो ,देश ,की हो बात,।
सर,हट� read more >>
एक ,चेहरा नहीं ,लिख ,पाती हूँ,।
मगर ,साए से यह ख्वाहिशें ,मन ही मन ,
फिर वहीं ,याद गुनगुनाती हूँ,
निश्छल ही यह प्रेम ,अधुरा कहाँ,रहा,।
मगर भट� read more >>