Ashok prihar 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google/yahoo/being/youtube/Instagram/Telegram/Twitter 8489 0 Hindi :: हिंदी
दियो न पेई यू भाई! जीव जगत यु न टुलाई!! जगत एक भाई, मानव एक भाई !! तौउ आपस मे यु क्यु गुराई!! Writer:-ASHOK PRIHAR शब्दार्थ:- दियो :- योगदान, जगत:-संसार(लोग भाई) पेई:- झगरना, टुलाई:- टरना यू:-एसेही, मानव:- मनुष्य, तौउ:- तो (तुम लोग), गुराई:-आपस मे वेर रकना व्याख्या:- इस संसार में भाई-भाई आपस में झगड़ते हैं! उदाहरण के तौर पर लोगों के सामने अपना झगडे मे योगदान देते हैं, मैं कहता हूँ, ईयु आपस में आप लोग मत झगड़ों , अगर भाई भाई आपस में एक दूसरे का सहारा नहीं बनेगा! तो यह संसार आपका अच्छा केसे बीतेगा, आगे कहने का तात्पर्य यह हैं समस्त संसार के लोग एक दूसरे मैं सहायक है और भाई भाई की तरह रहते हैं जब मुसीबत आती हैं देश पर !तो अपना झगड़ा भुलाकर देश पर आई मुसीबत को टालने मे अपना योगदान देते हैं आप लोगों को पता है कि आपस में सहायता बगैर कुछ कम नहीं हो सकता! तो क्यों झगड़ते हो! एक वाक्य मे ( जब दो भाईयों के बीस मैं झगड़ा होता हैं तो खुशी वाला काम जो अकेले कर लेंगे! मगर भाईयो के दोनो परिवार में से कोई भी एक सदस्य मर जाता है तो दोनों भाई एक हो कर व्यक्ति की अंतिम यात्रा निकालते हैं) स्वाभाविक बात है कि यह सब व्यक्ति को पता होता है फिर भी वह लोग आपस में क्यों झगड़ते हैं! मेरे हिसाब से :- ईश्वर ,आपकी हर प्राणी के प्रति, 'दया', करुणा , शुद्ध विचार,विश्वासी सहन शक्ति होना चाहीए जो लोगों का कल्याण करते हुए एक बार मौका देने का अवसर प्रधान करते हैं