मोती लाल साहु 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अमृतधारा हर कुंभ में, मन की तृष्णा प्यासी भटकाती सारे जहां में। बेगाना- खोजता संसार कूप में। 5312 0 Hindi :: हिंदी
मन की- तृष्णा तड़पती प्यासी, भटकती सारे जहां में हर कुंभ में- छलकता अमृत की धारा बेगाना- खोजता संसार कूप में -मोती