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उधड़े धागे

Abhijit Kumar Singh 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #hindipoems #hindisadpoetry #sadpoetry #poetryinhindi #hindikavita #sadkavita #poems #poetry #hindisadpoetryandpoems #hindi #indianhindipoetry 31058 0 Hindi :: हिंदी

वो उधड़े धागे उन रिश्तों के है
जहाँ गांठो की गुंजाइश कम है 


ज़िन्दगी के दरिये का गोताखोर हु 
यहाँ बचे रहने की फरमाइश कम है
 

हर तरफ सिर्फ बिछड़ने का नज़ारा है 
हर तरफ सिर्फ बिछड़ने का नज़ारा है 


लाठी में पसरे माँ बाप की 
नुमाइश कम है 


लोगों की जमात में भी अकेलापन खाता है 
अब खुद के लिए जीने की ख्वाहिश कम है 
 

वो उधड़े धागे उन रिश्तो के है 
जहाँ गांठो की गुंजाइश कम है 


 अभिजीत कुमार सिंह

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