महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 83548 0 Hindi :: हिंदी
मौत की अनदेखी अटल सत्य है जो दुनिया में हर पल, पथ पर खड़ी सामने इंतजार में बैठी है झुठला नहीं पाया है कोई इसको यह तो सदैव साथ में ही रहती है ll मानव चाहे जितना भूले पर एक दिन याद दिलाती है आने का कोई समय नहीं है यह जब चाहे आ जाती है ll ज्ञात है सबको इसका होना पर किसी को इसकी फिक्र नहीं जीने की ही सब बातें करते मरने का कोई जिक्र नहीं ll हम जीते हैं कुछ ऐसे कि ना कभी मर पाएंगे सबको ही तो मरना है आखिर हम कैसे बच पाएंगे ll नहीं हिसाब ही कर्मों का हम कभी रख पाते हैं फिर 84 के फेरे में हम उलझ कर रह जाते हैं ll इस धरा पर जीवन हमारा बस बहता पानी है करो भले ही अनदेखी जितनी मौत तो फिर भी आनी है ll ईश्वर, मौत को याद रखो तो जीवन सुखमय हो जाएगा जन्म मरण के बंधन में कभी नहीं वह आएगा ll 👏👏धन्यवाद रचनाकार:- महेश्वर उनियाल "उत्तराखंडी"