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जिंदगी अपने हिसाब से जीना है

ASHWANI PANDEY ( ADVOCATE ) 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जिंदगी अपने हिसाब से जीना है 15627 0 Hindi :: हिंदी

जब सूरज निकलने से पहले चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देगी,

माँ की आरती शुरू करते ही दूध वाले अंकल बेल बजाएंगे,

अख़बार वाला आया की नहीं, और मेरी चाय कहा है से पापा के दिन की शुरुआत होगी,

मेरी छड़ी कहा रख दी walk के लिए देर हो रही, कहते हुए दादा जी दादी को गुस्से से देखेंगे,
Ashu उठ जा school के लिए देर हो जाएगी, कहते हुए दीदी अपने बाल संवारेगी,

नाश्ते की टेबल पर सबकी हड़बड़ाहट संभालते हुए, अजी आज घर जल्दी आना, माँ पापा को बोलेंगी,

Ashu टिफिन रख लिया ना कहते हुए दादी गेट तक छोड़ने आयेंगी,

बस की हॉर्न सुनते ही दौड़ कर रोड साइड जाते ही दादा जी का चिल्लाना..

Ashu ,सम्भल कर

दोस्तों से मिलने की खुशी में पुराने झगड़े भूल जाएंगे,

History वाली ma'am को अब हिटलर नहीं बुलाएंगे,

सारे होमवर्क समय पर करके दिखायेंगे,

बस अब और नहीं जीना ऐसे चारदीवारी में,

हमे फिर से उड़ना है, फिर से वही मस्ती वही शरारत करनी है

हमे फिर से पढ़ना है, अपने सपने पूरे करने है,

हम इस देश की उज्जवल भविष्य है,

हमे अपना देश फिर से स्वर्ग बनाना है

हाँ अब और नहीं जीना ऐसे, हमे फिर से मुस्कुराना है

हमे सबको साथ लाना है, Social distancing नहीं हमे साथ मे त्यौहार मनाना है

हमे मिट्टी में खेलना  है, खुली हवा में  साँस लेना है

हमे फिर से जिंदगी अपने हिसाब से जीना है।
✍️✍️ Ashwani Pandey

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