Ranjana sharma 05 Mar 2024 ग़ज़ल दुःखद सुकून कहां ढूंढू मैं# Google# 3308 0 Hindi :: हिंदी
खुशी अपनी चेहरे की कहां ढूंढू मैं जो कहीं खी सी गई है सुकून अपने दिल का कहां ढूंढू मैं इधर भी नहीं है उधर भी नहीं है कदम जहां बढ़ रही है बस वहीं चली जा रही हूं मैं मंजिलअपनी नजर नहीं आ रही है ए कौन सा मोड़ है जिंदगी का इसकी भी कोई खबर नहीं है आंखों में कई सपने है हजार पर पूरी होगी की नहीं ए भी ना पता है दिल करता है कभी कभी हर रिश्ते नाते से दूर एक दुनियां बनाए जहां ना कोई अपना हो ना कोई पराया बस एक सपना हो जो अपना हो आज जिस मुकाम पर खड़े हैं वहां अब ना कोई चाहत है ना कोई शिकायत बस दिन और रात कट रही है जिंदगी कहां जी रहे हैं धन्यवाद🙏