संदीप कुमार सिंह 10 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8033 0 Hindi :: हिंदी
हर हाल में दिल में खुशियाँ ही खुशियाँ रहे, सदा ही होठों पे विराजमान बहार रहे। हाथों में कुछ निर्माण करने की कला भी रहे, कदमों में गज़ब की चाल मौजूद रहे। तूफानों सा इरादा प्रबल हो हर मुश्किल आसान हो, आँखों में विद्युत सी चमक हो अंधेरों में भी पकड़ हो। हर धड़कन में भी जोश भरे धुन हो, हमेशा मन में मदमस्त भरे उमंग हो। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस हो, न्याय के लिए जीने का संकल्प हो। सत्य का ही रास्ता हर हाल में कबूल हो, फिर तो जीवन मे फूल ही फूल हो। लाचार बेबस का सहारा बने, फिर तो आपका नाम खूब खिले। भ्रष्टाचार के विरुद्ध में आगे आएं, जीवन को फूलों सा महकाएं। हो सकता आपको अपकार मिले, फिर भी उपकार करना न छोड़ें। एक दिन दुआओं का शक्ति आपका साथ देगा, अन्तिम सांस तक भी आप आनन्दों में रहेंगे। जन्म लेना और मरना तो लगातार जारी रहेगा, एक ही जन्म को एक यादगार अनमोल जन्म बनाएं। देश समाज के प्रति दिल में असीम प्यार हो, खिलता हँसता सभी परिवार हो। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....