Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

शीर्षक (नज़र)

SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत GOOGLE नज़र 57828 0 Hindi :: हिंदी

शीर्षक (नज़र)
मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर)
नज़रों की अपनी एक अलग ही भाषा है।
एक अनकही सी अनसुलझी सी परिभाषा है।
वो हमसे नज़र मिलाने से कतराते है। 
डरते है वो कही हमसे प्यार ना हो,
जाये इसलिए वो अपनी नज़रे हम से चुराते है।
वो आईना देखने से भी घबराते। 
क्योंकि उनके आइने में भी हम ही नज़र आते है।  
तूने अपने नज़रो में जो पैमाने है बनाये।
उन्ही पैमाने को हमने अपने दिल में है बसाये।
नज़रो की नज़रो से मुलाकात हो गई।
नज़रों ही नज़रों में बात दो लोगो की बात हो गई।
उनकी नज़रों पर हमे ऐतबार है,
क्योंकि उनकी नज़रों मे ही छिपा उनका प्यार है।
वो अपनी नज़रों को कब तक हम से छुपायेगी,
कभी तो हमसे नज़र मिलायेगी।
जो हसरते उन्होंने हमसे छिपाई है,
उनकी नज़रों ने वो बात हमे चुपके से बतायी है।
हाले दिल बया करते है ,
 चलो नज़रों ही नज़रों में बाते करते है।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: