Jyotshna mishra 21 Feb 2024 कविताएँ धार्मिक 5735 0 Hindi :: हिंदी
कोयल पंचम स्वर सुनाए, वंसतअपनी आहट लाए । सुखे प्रसूनों के झुरमुट में , नई राग नई ताल लिए । चूं-चू करके विहंगम गाए , बगीचा के हरियाली में । अभी-अभी छाई रुतबा , जैसे नव दुल्हनियां में । सलिल मीठा सरगम गए , झरने कल-कल स्वर्ण सुनाए । पहाड़ों कि ओटों में देखो , भानु स्वर्ण किरण फैलाए । शिशिर की सेना भंग होने को है, बसंत का उमंग आने को है । वृंदावन में जागी बिहार , ग्वालिन सब गए मल्हार । फिर कहे मोहित बसंत , आओ तुम बार-बार ।