मारूफ आलम 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #din#love#maroof shayari#alam 17862 0 Hindi :: हिंदी
मैं नही चाहता कि मुझे भीख मे दी जाऐ चंद बीघा जमीन और बदले मे छीन लिये जायें मुझसे मेरे जंगल मैं नही चाहता तितर बितर कर दिया जाये मेरा परिवार,मेरा समुदाय क्योंकि जमीन मैं खरीद भी सकता हूँ,मगर परिवार और समुदाय खरीदे नही जाते वो बनाएं जातें हैं प्यार से विश्वास से वो बिकते नही,क्योंकि वो अनमोल होते हैं मारूफ आलम