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तुम कैसी मां हो?

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar kavita #maa per kavita #ambedkarnagar poetry 7338 0 Hindi :: हिंदी

कविता -तुम कैसी मां हो?

फेंक चलीं क्यों ?दिल रोता है!
कूड़े में अब दम घुटता है!
अंदर ही अंदर दहता है!
             कितनी विह्वलता है !
             मां की यह कैसी ममता है!

पाली ही क्यों अपने अंदर?
दिखा दिया दुनिया का मंज़र 
मौत दिया फिर इतना बत्तर
              क्या तुमको  खलता है?
              मां की यह कैसी ममता है!

बिन औलाद कौन मां जीती
कसूर  यही  कि  मैं  हूं  बेटी!
तू भी बेटी फिर क्यों फेंकी?
             बात यही खलता है!
             मां की यह कैसी ममता है!

जीवन दे दे मां मुझको भी
तेरी अंगुली पकड़ चलूंगी
हे! मां तेरे लिए लड़ूंगी
              तुमको क्या लगता है?
              मां की यह कैसी ममता है!

मां मां कह मैं मर जाऊंगी 
तड़प तड़प मैं चिल्लाऊंगी 
मर मर कर फिर सड़ जाऊंगी
              तुमको ना दिखता है ?
              मां की यह कैसी ममता है!


मेरी क्या गलती है मम्मी
मैं अंजान कली सी नन्ही  
सह ना पाऊं ठण्डी गर्मी
              अब सांसें थमता है!
              मां की यह कैसी ममता है!


अपनी सुख से मुझको पायी
तुझसे ही दुनिया में आयी
फिर क्यों मुझको फेंक बहायी? 
                कोई ना कहता है? 
                मां की यह कैसी ममता है!

खुले गगन तल कीचड़ दलदल
कांटों  में  मरती  मैं  पल  पल 
मक्खी   मच्छर   काटे   भूतल
               किसको ना दिखता है?
               मां की यह कैसी ममता है!


मुझे बचा लो मैं बेटी हूं
बहू बहन मां में मीठी हूं
पर मां ममता से रूठी हूं
              क्यों यह दुर्बलता है!
              मां की यह कैसी ममता है!


हे! मां फर्क करो ना इतना 
प्यार करो मुझको भी उतना
बेटे को करती हो जितना 
              अंतर क्यों दिखता है?
               मां की यह कैसी ममता है!

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी, अम्बेडकरनगर- यू पी 

 

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