Chinta netam " mind " 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 58803 0 Hindi :: हिंदी
# अव्यक्त ... हुआ बहुत ही धोखा , इसमें ऐसा ही होता ...! कहीं-कहीं रात चांदनी , कहीं अंधेरा होता ...! प्रेम ग्रंथ के पन्ने खोलूँ , लिख लूं अपनी जिज्ञासा ...! पंख पसारे उड़ जा पंछी , तू है कब से प्यासा ...! आज विकल है मन मेरा , कहना चाहे व्यथा ...! जीवन को कई रंग चढ़े , ऐसे कैसे दूं बता ...! भावनाएं हुई आहत , कहां मिली राहत ...! ह्रदय का सूनापन , नीरभ्र आकाश सा ...! ज्ञानेंद्रियों की सारी , क्रियाएं हुई शिथिल ...! चेहरे का भाव , मृत शव सा ...! वातावरण में पसरा , शून्य सा सन्नाटा ...! आंखें साधे , जंगल की निर्जनता ...! जीवन लगने लगा , हो गया है बोझिल ...! रुक चुका , हाथों का स्पंदन ...! टूट चुका अब , शब्दों का तारतम्य ...! आज कुछ भी , व्यक्त नहीं हो सका ...! व्यक्त होते हुए भी , सब कुछ अव्यक्त है ...! चिन्ता नेताम " मन " नगर पंचायत डोंगरगांव राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़ )