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उमड़ घुमड़ तुम आना मेघ-सहज-सरल तुम छाना मेघ

Uday singh kushwah 02 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत गूगल याहू बिंग 5914 0 Hindi :: हिंदी

तुम आना मेघ
उमड़-घुमड़़ तुम आना मेघ,
सहज-सरल तुम छाना मेघ। 
प्रीत का अमृत, तुम बरसाना मेघ,
प्यास धरा की तुम बुझाना मेघ। 
उमड़ -घुमड़ तुम आना मेघ,
हरी चुनरिया तुम धरा को पहनाना मेघ। 
पीह की आस पूरी कर जाना मेघ,
आना -आकर ठहर जाना मेघ। 
नव अंकुरित बीजों को-
वृक्ष बनते देख जा
ना मेघ। 
उमड़ घुमड़ तुम आना मेघ,
सूखे र्निझरों में फिर से नीर वहाना मेघ। 
भूमि पुत्रों के मुख पर प्रफ्फुलिता देख,
तुम भी प्रफ्फुलित  हो जाना मेघ। 
उमड़ घुमड़ तुम आना मेघ,
श्रृंगारित धरा को इठलाते देख जाना मेघ। 
धानी चुनर ओढ़ मह महकते अत्तर छिड़के,
खेतों को लह लहराते तुम देख जाना मेघ।
गिरी र्पवत भी सज संभर के तालाबों  में
अपना प्रतिबिंब निहार रहा।  
कलरव करते खगकुल को
शुभ्र नीलाकाश में-
सुछन्द उड़ते तुम देख जाना मेघ। 
चपल चपला का नभ में नृत्य देख जाना मेघ
छम छम करतीं बूंदों का मद मस्त होकर गाना सुन जाना मेघ। 
उदय सिंह कुशवाहा 
ग्वालियर मध्य प्रदेश

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