Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

लाइट की मनमानी-लाइट भी करती हैं अपनी मनमानी ना जाने ये इतना क्यों सताती

Aarti Goswami 18 Jan 2024 कविताएँ हास्य-व्यंग लाइट पर कविता, बिजली पर कविता 2694 1 5 Hindi :: हिंदी

"लाइट की मनमानी"
लाइट भी करती हैं अपनी मनमानी
मौके पे तो हर बार चली हैं जाती 
वापस आने में करती हैं आनाकानी
ना जाने ये इतना क्यों सताती 
यह भी लेती हैं हमारा इम्तिहान
प्रचंड गर्मी में करती हैं परेशान 
सोते हुवे को नींद में जगाती
सपनों को तो बीच में छुड़ाती 
मच्छरों से भी कटवाती
खून तो हमारा पिलाती 
ना जाने ये इतना क्यों सताती 
किसी की टेबल पे प्रेस अधूरी
किसी का टीवी में सीरियल 
खाने में सबको लेट कराती
आने में ये नखरे दिखाती
बारिश में तो क्या ही कहना
जैसे गीले में इसको ने रहना
हर मुश्किल को हमे ही सहना 
काम के तो वक्त चली जाती
शाम के वक्त तक नहीं आती
ना जाने ये इतना क्यों सताती 
     ~'आरती गोस्वामी'✍️

Comments & Reviews

Aarti Goswami
Aarti Goswami ✍️

3 months ago

LikeReply

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: