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सीख-घरोंदे को इमारत में बदलकर तो देखो

SEWANAND 17 Aug 2023 कविताएँ अन्य ख्वाब, आरजू 8261 0 Hindi :: हिंदी

सीख

घरोंदे को इमारत में बदलकर तो देखो, ख्वाब को हकीकत में बदलकर तो देखो। 
पिंजरे की सलाखों में है उड़ने की राह भी, गुलामी को बगावत में बदल कर तो देखो। जिन्दगी की मुश्किलें खुद-ब-खुद हल होंगी, खामोशी को सवालात में बदलकर तो देखो।
चट्टानों की दरारे भी इन्हीं हाथों से भरेगी, आरजू को इबादत में बदल कर तो देखो। 
अंधेरी राहों में चमकेगी सूरज की रोशनी, 
अंगूठे को दस्तखत में बदलकर तो देखो। 
 हौंसला कम ना होगा, तेरा तूफां के सामने, 
मेहनत को आदत में बदलकर तो देखो। 
कदमों के तले होगी खुद मंजिले, 
मेरी बातों को नसीहत में बदलकर तो देखो।
लेखक :- सेवानंद चौहान
राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक

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