कुमार किशन कीर्ति 08 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मातृ दिवस, मौन,समाज 6197 0 Hindi :: हिंदी
मैंने देखा...। युवाओं को मातृदिवस मनाते हुए। अपनी माताओं को शुभकामनाएं देते हुए। पर,भीड़ से भरी हुई बाजार में चौराहे पर एक बूढ़ी औरत भीख मांग रही थी। फ़टी हुई वस्त्रों से लिपटी वह आँखों से नीर बहा रही थी। फिर...। मैंने समाज से पूछा इसका जिम्मेदार कौन? आज तक,इस प्रश्न पर हैं समाज मौन।