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अति दुर्लभ मानव तन-आओ करें ज्ञान समागम

मोती लाल साहु 04 Sep 2023 कविताएँ अन्य ज्ञान समागम हरि मिले 6012 1 5 Marathi :: मराठी

पांच सखा महा पंडित, 
रहते हैं एक गांव।
आंख नामक ज्ञानी एक, 
ख़ुद छोड़ सब देखत।।

कान सम ज्ञानी न कोय, 
चारों वाणी सुनत।
नाक सम देखा न ऊंंच, 
सुंघे परखे गंध।।

जिभ चखता है छहो रस, 
स्वाद में यह माहिर।
त्वचा करे अद्भुत कार्य, 
स्पर्श से दे परिचय।।

"इन्हें कहते हैं पांच, 
ज्ञान इंद्रियां जान,,
कुछ दूरी रहते पांच, 
कर्म इंद्रियां जान....!!!!"

बसे है पांच कर्मकार, 
रहते हैं इस गांव।
मुख से अन्न ग्रहण करत, 
पलते सारे अंग।।

हाथ की क्षमता अपार, 
करता सारे काम।
लिंग निजी है एक अंग, 
अशुद्ध निकाले जल।।

गुद्दा द्वार अति विशेष, 
मल करे सब बाहर।
पैर करता दूरी तय, 
और चले प्रभु द्वार।।

"अंतःकरण में दिग्गज़, 
रहते हैं मित्र चार,,
मन,बुद्धि,चित्त,अहं यह,
चार देखें न आंख....!!!!"

मन सा नहीं है चंचल, 
तीनों लोक पहुंच।
बुद्धि से भरी संसार, 
ए-बुद्धि सबकी चाल।।

चित्त धर अब हिय अंदर, 
मन को लगे लगाम।
अहंकार में गया सब, 
ए-ज्ञान,बुद्धि,विवेक।।

"उपरोक्त चौदहो देव, 
रहते हैं इस देह,,
एक परम जो चलाए सब,
हृदय बसे करतार....!!!!"

"अति दुर्लभ मानव तन-
आओ करें ज्ञान समागम,
ज्ञान समागम-हरि मिले!!"
-मोती 

(1.) चार वाणी : बेखरी, मध्यमा, 
परा और पश्यंति।
(2.) छ: रस : मधुर, अम्ल, लवण, 
कटु, तिक्त और कासाय।

Comments & Reviews

मोती लाल साहु
मोती लाल साहु 1. Language : हिन्दी के जगह मराठी है 2. Copy Sher link : ati durlabh maanav tan-aao karen gyaan samagam के जगह हैं- ati durlabh maanav tan-aao karen gyaan sangrah :: Please check- thanks!

7 months ago

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