Ritvik Singh 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत #Google #Yahoo #bing 16760 0 Hindi :: हिंदी
ये ज़िंदगी अब हमसे ठिसक जाने को कहती है जो चादर पैरो पे ढकी है वो अब खिसक जाने को कहती है हम सबको तवज्जोह देते फिरते है ए-ऋत्विक पर उसके नज़दीक जाने पर वहाँ की ठंड भी शिसक जाने को कहती है शेर:- अब इंतज़ार नहीं होता हमसे तेरे अफ़सानों के सबर का तेज हवा के झोंके से अक्सर डेह जाया करती है दीवार मगर अब तो सुंदर आशियाना लगता है अपनी क़बर का :- ऋत्विक सिंह