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रस्सी लाख दर्द सहकर भी तुम मुस्कुराती रही

Ajay kumar suraj 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #लाख-दर्द-सहकर-भी-तुम-मुस्कुराती-रही #कविताएं #ग़ज़ल #प्यार-मोहब्बत #राजनीतिक 68871 0 Hindi :: हिंदी

लाख दर्द सहकर भी तुम मुस्कुराती रही।तन पर सह घाव हजारों कइयों को मंजिल पर पहुंचती रही।।
हो पर्वतारोही कोई,पर्वतराज के सिर पर चढ़ाती रही।कट गई बदन की एक एक नस,फिर भी उन्हें तू बचाती रही।
उजड़ के जो आये थे,गांवो से शहरों में बसने । उनके आशियाने को ऊंचे महलों पहुँचती रही।
वो जवानी  ही थी जो सम्हली हुई , कुँए से पानी का सहारा दिया।
निकला है जनाजा जब भी किसी का,कंधों से पहले सहारा दिया।।

तुम न होती हे रस्सी सुनो! दुनियां का बंधन बंधन न होता।।

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