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वोट की धोखाधड़ी

Nasima Khatun 23 Jun 2023 कहानियाँ समाजिक मनोरंजन की कहानी 4215 0 Hindi :: हिंदी

गर्मी का दिन था। लोग अपने को लु से बचाने के लिए घरों में खरांटे लें रहें थे।गाय बैल पैडों की छांव में सुस्ता रहे थे चिंपु अपने घर के दरवाजे में सोया हुआ था। जहां ठंडी हवा लग रहीं थीं लेकिन तभी उसे दरवाजा खटखटाने की आवाज आई जब भी वह आवाज़ सुनता तो वह बिना दरवाजा खोले आधी नींद में दोडते हुए अपने कमरे में चला जाता अक्सर कुछ भिखारी या गरीब लोग पैसे या कपड़े मांगने के लिए आया करते थे और बेचारा चिंपु दरवाजा खोलते खोलते परेशान हों गया था इस बार उसने गुस्से से दरवाजे को पटकते हुए खोला तो देखा कि महिला मंडल सब खड़ी हैं सबों के हाथों में पर्चा का बंडल था उस महिला ने पुछा कि मां पापा सब कहां पर है चिंपु के पुछने पर पता चला कि मुखीया का वोट लेने के लिए और विजेता बनने के लिए सारी महिलाएं घरों में जा कर अपने अपने स्वभाव के अच्छे अच्छे पाठ पढ़ाती बुजुर्गों के हाथ पैर पकड़ कर वोट देने को निवेदन करती बड़े बड़े गाड़ियों में Dj लगवा कर खुद की तारीफ करवातीं मुखिया बनने वाले 8 लोग इस पद पर खड़े हुए और 8 गांवों के लोगो को यह सुना सुना कर परेशान करते और जो बुजुर्ग रास्ते में मिल जाता उसके पांव पकड़ कर गिड़गिड़ाते हुए वोट देने को कहते।
चिंपु मां बाहर आई तो देखती है कि बहुत सारी महिलाएं खड़ी हैं और सबों ने अच्छे अच्छे साड़ी और गहने पहने हुई है और उन सबों के हाथों में पर्चे हैं उस महिला ने चिंपु की मां को प्रणाम किया और कहा कि दिदी मैं पिछले दो बार हार चुकी हु और इस बार मैं जितना चाहतीं हु। मैं इस गांव में कुआं खुदवा दुगी तभी चिंपु ने कहा कि लोग अब अपने घरों में नल लगवाते हैं ताकि पानी लाने में परेशानी न हो उस महिला ने बड़ी बड़ी आंखें दिखा कर कहा कि मैं किसानों को मुफ़्त में बिज और उन्नत खाद्य दुगी और किसानो कि लोन को भी माफ़ करवा दुंगी।
यह सुनकर चिंपु ने मुस्कुराते हुए बोला कि आप इस गांव की रोड़ बनवा सकतीं हैं।सब के सब ख़ामोश हो गई तभी मां ने चिंपु को चुंटी काटते हुए कहा कि अब बस भी कर और उस महिला से कहा कि हम इस बार आपको हि वोट देंगे बहन जी।
सब के जाने के बाद चिंपु ने सवाल किया कि आप सच में इसी को वोट देंगी मां ने जवाब दिया कि देखा जाएगा और अब यहां से चल।
चिंपु बड़बड़ाते हुए खेलने चला गया। तभी उसने देखा कि एक महिला एक एक पर्चे को लोगों के पास गिरा रही थी जो एक सानदार कार में बैठी थी। उसके पास गया और पुछने लगा कि आप इस गांव के लिए क्या करने वाली हों उस महिला ने कहा कि मुझे ठिक से याद नहीं है। लेकिन मेरी गाड़ी यहां से गुजरी जिसमें लाउडस्पीकर से बताया जा रहा था।
चिंपु ने कहा कि जो यह न जाने कि गांव की उन्नति कैसे किया जाए और किस तरह करें वे मुखिया के पद के लायक नहीं हैं। यह सुनकर वहां खड़े सभी लोग हंसते हंसते लोट पोट हो गए महिला कि आंखें बड़ी और गुस्से से लाल बबुला हों गई और अपने पत्ती को जली खोटी सीनाते हुए गाड़ी को आगे ले जाने को कहा।
दुसरे दिन जब चिंपु सो के उठा तो उसे कुछ अजीब लगा कि उसकी दादी रोज़ सुबह चिल्लाती है। लेकिन आज कुछ ज्यादा जोर से चिल्ला रही थी। कि सबों को ढेर सारा पैसा दिया सिर्फ मेरे ही घर में किसी को नहीं दिया।
बहन से पुछ ताछ करने पर पता चला कि आज सवेरे ही एक मुखिया गांव में आया और लोगों को 1000 रूपए दे कर वोट देने के लिए अपनी ओर कर लिया।
तभी चिंपु के पापा ने कहा कि हम इतने बिकाऊ नहीं हैं जो 1000 रूपए में हमें कोई खरीद लेंगे।अच्छा हुआं कि वे लोग मेरे घर नहीं आएं नहीं तो मैं उसे धक्के मार कर भगा देता।यह सुनकर दादी धिरे धिरे दब्बे पांव से बाहर चलीं गईं और सड़क के किनारे बेठे युवा लड़कों को अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में बहलाते हुए कि तुम सभी किसको वोट दोगे तब एक लड़के ने अपना जबान खोला की हमें 1000 रूपए दिया गया है। लेकिन जिसने हमें दो बार मछली खिलाया, हमारे गाड़ियों में दो बार 2-2 लिटर तेल भराया उसे हम आसानी से कैसे भुल जाएंगे। जिस मुखिया ने हमें इतने रुपए दिए हम अचानक उसके पक्ष में नहीं हों सकते।पांच साल तक वे हमें बेवकूफ बनाते हैं हमें लुटते हैं एक साल हम उन्हें लुटेंगे सबों ने उन्से रूपए लिया है लेकिन उन्हें वोट नहीं देंगे।बिच में दादी ने टोंक कर कहा कि ये तो ठीक है पर यदि मुखिया को पता चल गया तो तब सबो ने मिल कर दादी को समझाया कि उसमें नाम नहीं लिखा होता है मुखिया को पता नहीं चलेगा कि किसने वोट दिया और किसने नहीं।
चिंपु ने कहा कि जिसे हमलोग वोट देना चाहते है  ्व्् ्् यदि वह जीत गया तो मैं उसे गांव की सड़क बनाने के लिए कहुंगा जो किसी भी मुखिया ने इसकी मरम्मत नहीं किया है। जिस मुखिया ने रुपए दिए थे उसके चेले सभी के घरों में जा कर लोगों को कसम खिलाते कि हमें ही वोट देना।
जब वोट देने का सिलसिला खत्म हुआ तो कुछ दिन बाद पता चला कि इन दिनों में कोई जित नहीं पाया बल्कि कोई तिसरा जिता जिसने ज्यादा खर्चा भी नहीं किया था जित पर दिवाली की तरह पटाखे फोड़े लोगों ने मिलकर धुमधाम से होली खेली लेकिन चिंपु उदास था ये न सोच कर कि उस मुखिया के लाखों रुपए बर्बाद हो गए बल्कि इस बात से कि सड़क बनाने का सपना टुट गया ।
दुसरी ओर मन ही मन मुस्करा रहा था कि गांव के लोग कुछ रूपए में बिके नहीं और उस घुसखोर मुखिया को जिताया नहीं।चिंपु हंसते खेलते अपने घर कि ओर जाने लगा तो देखा कि गांव के कुछ लोग बरामदे में बेठे है और वोट कि ही बात कर रहे चार दिन तक बस एक ही बात सुनाई दे रही थी। दादी झल्ला कर उस मुखिया को बुरा भला कहने लगी कि बुढ़ापे का पेंशन दिलवाने का वादा किया जो अब सब खत्म हो गया। जब दादी नाराज होती तो उनके होंठ सिकुड़ जातें, आंखें छोटी ओर भोहे डेढ़ हों जातें पुरे चेहरे पर सिकंज पड़ जाते जो देखने में भद्दा लगता।इसे दुर करने के लिए चिंपु ने पेड़ की टहनी को तोड कर अपने पजामे में बांध लिया और दादी के सामने हिलाते हुए कहने लगा कि कोई भी नेता या मंत्री दयालु नहीं होते जो पहले चार साल में जनता कि मदद करें।ये चार साल बित जाने के बाद फिर से वोट देने का समय आता है तब अपने किए हुए वादे को पुरा करने कि कोशिश करते हैं या नहीं भी करते हैं। एक बार फिर बंदर कि तरह दुम हिलाते और उछल कूद करते हुए कहा कि दादी लग रहा हुं न बंदर तभी दादी हंसते हुए बोली तु तो समझदार हो गया है और घर में सब खिल खिलाते हुए हंसने लगे।

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