Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक #खेल है #राजनीति 40278 0 Hindi :: हिंदी
ज़मीन पर यह चलते हैं ! आसमानी बातें करते हैं !! अल्फाज़ो में रखते दम हैं ! बेशक नंग हैं !! देश की शान हैं ! चाहे कितने ही बदनाम हैं !! खुद्दारी की देते मिशाल हैं ! कोडियों में बिकते इनके ईमान हैं !! बुजदिली के ढेर हैं ! घर के यह शेर हैं !! यह कागजी हेर - फेर है ! बस नस्लों का यह खेल है !! राजनीति दलदल है ! ये दलदल ही तो मखमल है !! यह सेवा संस्थान है ! यहाँ बिकता हर सामान है !! सत्यता, योग्यता सब बेकार है ! परिवारों की ही भरमार है !! लिख रही है लेखनि ! दिल में मेरे मलाल है !! सत्यता योग्यता का बस ढोल है ! गीदड़ो की नस्लें ही शेर हैं !! यह कागज़ी हेर-फेर है ! बस नस्लों का यह खेल है !! डाको को कहते यहाँ घोटाला है ! डाकूओं का ही बोलबाला है !! कर्मों का कालापन ! सफेद वस्त्रों ने ढ़क डाला है !! जेल में भी कहाँ लगा ! इनके कर्मों पर ताला है !! जेल तो घर है ! ऑफिस में लगा ताला है !! चोर पुलिस का खेल है ! ये कैसा मेल है !! यह कागजी हेर - फेर है ! बस नस्लों का यह खेल है !! विपिन बंसल