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Vipin Bansal

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My Articles

सर से उठा जब पिता का साया ! क़ीमत उनकी तब जान पाया !! छीन गई जब पिता की गोदी ! शहंशाही अपनी मैनें खो दी !! राजपाठ अपना सारा गंवाया ! शहंशाह� read more >>
ये ज़िंद‌गी बस दर्द है ! ये सांसे ही मर्ज़ हैं !! हमको देकर ज़िंदगी ! हमसे वसूला कर्ज़ है !! ये ज़िंद‌गी बस दर्द है ! ये सांसे ही मर्ज़ है !! read more >>
कविता = ( सुख-दुख ) सुख-दुख सांसों के संग है ! यही ज़िंदगी के रंग हैं ! सुख ही सुख हो ज़िंदगी में ! सुख में कहाँ आनंद है ! दुखों की धूप में मी read more >>
कविता = ( गुमान ) इस शरीर पर मत कर गुमान ! यहाँ पल दो पल का तू मेहमान !! इस शरीर का मत बन दीवाना ! माटी में इसको मिल जाना !! दुखियों के जो आए क� read more >>
कविता = ( मेरे श्री राम को अयोध्या मिल गई ) मुगलों की शतरंज की चालें बदल गईं ! बाबर की शहंशाही खाल बदल गई !! बाबरी मस्जिद जिसे कहते सभी थे ! read more >>
कविता = ( भारत ) भारत को गर भारत पुकारा तो क्या ! वर्षों की चढ़ी गर्द को उतारा तो क्या !! यह भरत का भारत यह देवों की देव भूमि ! जय श्री राम क� read more >>
कविता = ( मनमोहक ) मनमोहक मनभावन मनमोहन तेरे नाम ! मन शीतल निर्मल हो जाए ! जो भज ले तेरा नाम ! हे माधव हे नंदलाल ! मुरली मनोहर, राधेश्याम ! read more >>
कविता = ( कोख ) कोख में अपनी माँ मेरी हमको देती मार ! नारी नर्क से निकाल के हमको कर देती उद्धार !! श्राप ग्रस्त इस योनि से हमको देती तार ! हम read more >>
कविता = ( कोख ) कोख में अपनी माँ मेरी हमको देती मार ! नारी नर्क से निकाल के हमको कर देती उद्धार !! श्राप ग्रस्त इस योनि से हमको देती तार ! हम read more >>
कविता = ( दिल्ली ) अंधी मूकबधिर अब हो गई दिल्ली ! दिल्ली का यह क्या हाल हो गया !! असहाय, बेबस पिता लाचार हो गया ! पिता के ही सामने बेटा लाश ह read more >>
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