Jitendra Saini 22 Apr 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #saavnVyng #shayaari #vinodmhsy #kthaa #khaani #geet #shaayri #hindirchyita 6412 0 Hindi :: हिंदी
ओह मेरे सावन !! वाहरे सावन , इतना मनभावन चऊं ओर हरियाली , ये बारीश निराली पड़ी थी जो सूखी , वो ज़मीं हो गई मतवाली चिरई कोयल की गूंज ज्यों ही निकलती भेदकर सीना पहले , फिर कर्णों तक है बज पहुंचती अब तो खेत - खेत में मोर बोलै रै हूं बैठा छत पे , पर मन चंचल वहीं डोलै रै अबके तो पेड़ में हमारे, जामून भी खूब आई हो जाएं दांत - मूंह खट्टे , भी पर मन भरकर खाई तेरी छटा अनन्त, और है कई प्रकार की पर मैं भी ठहरा तेरा दीवाना , रखूं मन में कई विचार भी झूम उठा मन कि नाचूं , थिरकूं , गाऊं कभी ना हो खत्म , वो लेख लिखता जाऊं तेरा पूरा वर्णन कर दूं मैं , तुझमें ही यूं जी लूं मैं अब के तो फुर्सत में , तेरा सारा रस पी लूं मैं गिरुं बूंद बनकर ज़मीं पर , गाऊं साथ कोयल की नकलकर चुग्गा देने के बहाने , मोर को बना लूं हमसफ़र भर जाऊं मगर उड़ान तब , विस्तार देखने तेरा , उसी पर सवारी कर भर लूं दिमाग को तुझ से , और लगा दूं तुझमें मैं अपना मन तू यूं ही हर वर्ष आ जाना , ओह मेरे सावन , ओह मेरे सावन !