Uday singh kushwah 11 Aug 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत गूगल याहू बिंग 9020 0 Hindi :: हिंदी
"प्रीत बनकर बह जाओ तुम" नेह के फूल बिखरा जाओ तुम पास आ जाओ सुलगती यादों को एक बार तो बुझा जाओ नेह का प्रेम इस पावस ऋतु में बरसा जाओ उम्मीदों के दामन में फिर कोई फूल खिला जाओ मेरी धधकती आरज़ू को तुम पूरा कर जाओ मुहब्बत को सलामती की दुआ दे जाओ तुम सुस्ताती उमंगों में फिर से जोश भर जाओ तुम आकर मेरे पहलू में बड़े इंमतनान से बैठ जाओ सुख दुःख का हमराही बनकर साथ निभाओ तुम हर ख़ुशी के दामन में फिर से खुशियां भर जाओ मेरी बहती मंझधार से एक बार गुजर जाओ तुम हसरतों के पुल से मेरी राह बनाओ तुम...... प्रकृति की महकती फिजाओं में महक जाओ तुम दिल की गहराई में उतर जाओ तुम मन के आंगन में प्रेम का पौधा लगाओ तुम जीवन की सांझ से कुछ उजाला चुराओ तुम कवि उदय सिंह कुशवाहा लश्कर, ग्वालियर,मध्यप्रदेश