Chanchal chauhan 09 Feb 2024 कहानियाँ प्यार-महोब्बत कितने भी नाराज हो जाओ पर दिल के दरवाजे बंद मत करो कुंडी 3597 0 Hindi :: हिंदी
बचपन में मैं देखती थी कि घर के पुरुषों के बाहर जाने पर घर की महिलाएं कभी दरवाजा तुरंत बन्द नहीं करती थी, सांकल (lock) छोड़ देती थीं। थोड़ी देर बैठ कर फिर बन्द करती थी । कभी कभी पुरुष कुछ दूर जाकर लौट आते थे, ये कहते हुए कि कुछ भूल गया हूं और मुस्कुरा देते थे दोनों एक दूसरे को देखकर। और कुछ मन होता तो कुछ कह कर जाते । प्यार का यह परस्पर सम्बद्व बहुत सुकून भरा था । यह सब मैं रोज देखती पर कुछ समझ नहीं आता ।एक बार मैंने अपनी मां से पूछ लिया कि ।माँ पापा के जाने के बाद कुछ देर तक दरवाजा क्यों खुला रखती हो?? तब मां ने मुझे को वो गूढ़ बात बताई जो हमारी सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने कहा कि दरवाजे की खुली सांकल किसी के लौटने की एक उम्मीद होती है। अगर कोई अपना हमसे दूर जा रहा है तो हमें उसके लौटने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। उसका इंतजार जीवन के आखिरी पल तक करना चाहिए। आस और विश्वास से रिश्तों की दूरी मिट जाती है। इसीलिए मैं दिल की उम्मीद के साथ दरवाजे की सांकल भी खुली रखती हूं, जब भी वापस आए तो उसे खटकाने की जरूरत नहीं पड़े, वो खुद मन के घर में आ जाए। जीवन में कुछ बातें हमेशा हमें सीख देती है, कि कोई रिश्तों से नाराज कितना भी हो, उसके लिए दिल के दरवाजे बन्द मत करो। जब कभी उसे आपकी याद आयेगी, उसे आपके पास आना हो तो वो हिचके नहीं । मस्ती में पूरे विश्वास से बिना कुंडी खटकाए दिल के अन्दर आ जाए।