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मर्दों जैसी औरत-विश्वासनीय और उत्कृष्ट वैद्य

Manju Bala 13 Jun 2023 कहानियाँ समाजिक मर्दों जैसी औरत,एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक महिला रहती थी। उसका नाम रेखा था। वह गांव की सबसे प्रसिद्ध वैद्य भी थीं। रेखा ने वैद्यकीय शिक्षा पूरी की थी और उनके पास उच्च स्तरीय ज्ञान था। लोग उन्हें विश्वासनीय और उत्कृष्ट वैद्य मानते थे। गाँव में जैसे ही कोई रोगी उसके पास आता, वह उसकी समस्या को ध्यान से सुनती और बिना किसी लालच के उसे ठीक कर देती। उसका आदर्श और मेहनती होने का दृष्टिकोण उसे लोगों के दिलों में खास स्थान दिलाता था। वह अपने जीवन के काम-धंधों में उत्कृष्टता के साथ लोगों की मदद करने में अपना समय बिताती थीं। एक दिन, गाँव के दूसरे किनारे से एक युवती आई। उसका नाम सुभाषिनी था। सुभाषिनी गांव की महिलाओं में अद्भुत बातों के बारे में सुनी थी और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था। उसने रेखा के बारे में भी बहुत कुछ सुना था और उसे मिलने का उस का दिल चाह रहा था। सुभाषिनी ने अपनी सारी बातें रेखा को सुनाईं और वह भी बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने सुभाषिनी की दृष्टि में जो समर्पण और संघर्ष देखा, उसकी उसने बहुत प्रशंसा की। रेखा ने सुभाषिनी को बताया कि वह वैद्य का काम केवल मर्दों के लिए ही नहीं करती हैं, बल्कि सभी लोगों की सेवा करना उनका मुख्य उद्देश्य है। उस ने उसे अपनी आत्मकथा सुनाई और सुभाषिनी को आश्चर्यचकित कर दिया। सुभाषिनी अद्भुत प्रेरणा से प्रभावित हुई और उसने रेखा के साथ एक गहरा बंधन बनाया। रेखा ने उसे अपनी शिक्षा के अनुभव का हिस्सा बनाया और उसे अपने साथ अस्पताल में काम करने का मौका दिया। अस्पताल में रेखा और सुभाषिनी ने साथ मिलकर बहुत सारे रोगियों की देखभाल की। दोनों ने अपनी विशेष वैद्यकीय ज्ञान का उपयोग करके अपनी मर्दों जैसी क्षमताओं को दिखाया। जहां लोग अचम्भित और आश्चर्यचकित हो जाते थे, वहीं कुछ लोग उन के जैसे सोचने लगे और समझे कि औरतें में भी मर्दों के सामान सामर्थ्य और प्रतिभा हैं। रेखा और सुभाषिनी द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली सामर्थ्य ने इस गांव में एक बदलाव की धारा पैदा की। लोग द्वारा सुरक्षित महसूस करने वाले महिलाएं अब अपनी सेहत की देखभाल के लिए रेखा और सुभाषिनी के पास जाने लगीं। महिलाओं को इस नई सोच का सामर्थ्य मिला, उन्हें यह महसूस हुआ कि उनकी आवाज महत्वपूर्ण है और उनके द्वारा भी गांव की सेवा में योगदान दिया जा सकता है। रेखा और सुभाषिनी ने एक विद्यालय खोला, जहां महिलाओं को विज्ञान, गणित, और मेडिकल जैसे क्षेत्रों में शिक्षा दी जाती थी। यह गांव में महिलाओं की अद्यतन शिक्षा का संगठन हुआ और इससे महिलाओं को नई रोशनी की किरणें मिलीं। रेखा और सुभाषिनी ने सामाजिक जागरूकता भी फैलाई। वे महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मनोवैज्ञानिक सेमिनार, कौशल विकास कार्यक्रम, और उद्योगिक प्रद्योगिक कि शिक्षा लेने लगी और उस गाँव की सभी महिलायाँ शिक्षित हो गई |उन दोनों ने एक नये समाज का निर्माण किया |सच में वे मर्दों जेसी औरत ही थी जिन्होंने एक सशक्त समाज का निर्माण किया | 7444 7 5 Hindi :: हिंदी

मर्दों जैसी औरत

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक महिला रहती थी। उसका नाम रेखा था। वह गांव की सबसे प्रसिद्ध वैद्य भी थीं। रेखा ने वैद्यकीय शिक्षा पूरी की थी और उनके पास उच्च स्तरीय ज्ञान था। लोग उन्हें विश्वासनीय और उत्कृष्ट वैद्य मानते थे।

गाँव  में जैसे ही कोई रोगी उसके पास आता, वह उसकी समस्या को ध्यान से सुनती और बिना किसी लालच के उसे ठीक कर देती। उसका  आदर्श और मेहनती होने का दृष्टिकोण उसे  लोगों के दिलों में खास स्थान दिलाता था। वह अपने जीवन के काम-धंधों में उत्कृष्टता के साथ लोगों की मदद करने में अपना समय बिताती थीं।

एक दिन, गाँव के दूसरे किनारे से एक युवती आई। उसका नाम सुभाषिनी था। सुभाषिनी गांव की महिलाओं में अद्भुत बातों के बारे में सुनी थी और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था। उसने रेखा के बारे में भी बहुत कुछ सुना था और उसे मिलने का उस का दिल 
चाह रहा था। सुभाषिनी ने अपनी सारी बातें रेखा को सुनाईं और वह भी बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने सुभाषिनी की दृष्टि में जो समर्पण और संघर्ष देखा, उसकी उसने बहुत प्रशंसा की। रेखा ने सुभाषिनी को बताया कि वह वैद्य का काम केवल मर्दों के लिए ही नहीं करती हैं, बल्कि सभी लोगों की सेवा करना उनका मुख्य उद्देश्य है। उस ने उसे अपनी आत्मकथा सुनाई और सुभाषिनी को आश्चर्यचकित कर दिया।

सुभाषिनी अद्भुत प्रेरणा से प्रभावित हुई और उसने रेखा के साथ एक गहरा बंधन बनाया। रेखा ने उसे अपनी शिक्षा के अनुभव का हिस्सा बनाया और उसे अपने साथ अस्पताल में काम करने का मौका दिया।

अस्पताल में रेखा और सुभाषिनी ने साथ मिलकर बहुत सारे रोगियों की देखभाल की। दोनों ने अपनी विशेष वैद्यकीय ज्ञान का उपयोग करके अपनी मर्दों जैसी क्षमताओं को दिखाया। जहां लोग अचम्भित और आश्चर्यचकित हो जाते थे, वहीं कुछ लोग उन
के जैसे सोचने लगे और समझे कि औरतें  में भी मर्दों के सामान  सामर्थ्य और प्रतिभा हैं। रेखा और सुभाषिनी द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली सामर्थ्य ने इस गांव में एक बदलाव की धारा पैदा की। लोग द्वारा सुरक्षित महसूस करने वाले महिलाएं अब अपनी सेहत की देखभाल के लिए रेखा और सुभाषिनी के पास जाने लगीं।

महिलाओं को इस नई सोच का सामर्थ्य मिला, उन्हें यह महसूस हुआ कि उनकी आवाज महत्वपूर्ण है और उनके द्वारा भी गांव की सेवा में योगदान दिया जा सकता है। रेखा और सुभाषिनी ने एक विद्यालय खोला, जहां महिलाओं को विज्ञान, गणित, और मेडिकल जैसे क्षेत्रों में शिक्षा दी जाती थी। यह गांव में महिलाओं की अद्यतन शिक्षा का संगठन हुआ और इससे महिलाओं को नई रोशनी की किरणें मिलीं।

रेखा और सुभाषिनी ने सामाजिक जागरूकता भी फैलाई। वे महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मनोवैज्ञानिक सेमिनार, कौशल विकास कार्यक्रम, और उद्योगिक प्रद्योगिक कि शिक्षा लेने लगी और उस गाँव की सभी महिलायाँ शिक्षित हो गई |उन दोनों ने एक नये समाज का निर्माण किया |सच में वे मर्दों जेसी औरत  ही थी जिन्होंने एक सशक्त समाज का निर्माण किया |

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Manju Bala
Manju Bala अति सुन्दर कहानी है|

11 months ago

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Manju Bala
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Manju Bala
Manju Bala मर्दों जैसी औरत - Manju Bala Read now: https://www.sahity.com/kahaniyan/maratha-jasa-ourata

11 months ago

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