Arun Kumar 20 Jul 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग (Google/Yahoo/Bing) 7475 0 Hindi :: हिंदी
एक दिन एक गांव में एक बहुत ही हंसमुख व्यक्ति रहता था। वह व्यक्ति आपसी मिलजुल के लिए प्रसिद्ध था, और उनके हास्यप्रवचनों को सुनकर सभी लोग खुश हो जाते थे। उनके चुटकुलों से गांव के लोग दुखों को भूल जाते और हँसी में खो जाते। एक दिन, गांव के सरपंच की बेटी की शादी का एक शानदार अवसर आया। सभी गांव वासी इस शादी के लिए बड़े उत्साह से तैयार हो गए। रविशंकर, हमारे हंसमुख व्यक्ति, ने भी तैयारी करके उस शादी में शामिल होने का फैसला किया। शादी के दिन, सभी लोग अपने सुंदर सजवटी वस्त्र पहने हुए थे। रविशंकर ने भी अपना सबसे अच्छा कुर्ता पजामा पहना था और उनके आंतरिक चुटकुले करने का मन था। सभी मेहमानों को खाने के लिए बुलाया गया और भोजन की सुविधा एक विशाल शामियाने में की गई। खाने के समय पर रविशंकर ने मेज पर बैठकर अपने हास्यप्रवचन शुरू कर दिये। एक बार जब एक अजीब सा प्राणी दिखाई दिया, तो रविशंकर ने उसके बारे में कहना शुरू किया। "दोस्तों, आपने देखा है इस प्राणी को? इसका नाम है 'चुटकुली चिड़िया'। हाँ, हाँ, बिलकुल सही सुना। इस चिड़िया की सारी खूबियां चुटकुले में छिपी हैं। आपने देखा नहीं कैसे वह ऊपर उड़ती है और अपने पंखों से आसमान को स्पर्श करती है? और उसकी आंखों में देखो, वो कितनी हास्यरंगों से भरी हुई हैं। इस चिड़िया की समझ में नहीं आता, की इतनी हंसी और चुटकुलों के साथ उसे यह उड़ने का समय कैसे मिलता हैं।" सभी लोगों ने रविशंकर के चुटकुलों पर हंसी का दामन फूला दिया। शादी के बाद, रविशंकर को सभी ने धन्यवाद दिया कि उन्होंने उनके शादी के दिन को इतनी यादगार और खुशनुमा बना दिया। तभी सरपंच ने कहा, "रविशंकर जी, आपके चुटकुले हमारे गांव की सबसे महंगी दवा से भी ज्यादा रामबाण हैं। इसलिए, अगले हफ्ते हम आपको सरकारी चुक़ड़ी घोड़ी में भेज रहे हैं।" रविशंकर के आंखों में खुशी छा गई और उन्होंने कहा, "धन्यवाद सरकारी चुक़दी घोड़ी के लिए। मैं उसे इतनी तेज धूप में नहीं ले जाऊंगा, ताकि वह भी रविशंकर जी के चुटकुलों से हँसे।" सभी लोग हंसते-हंसते रविशंकर को घेर लिए और उनकी चुटकुलों ने सभी को खुशियों की बारिश दे दी। वहां की खुशियां सदा तक यादगार रही और रविशंकर को उन चुटकुलों का बेसब्री से इंतज़ार रहा। इस तरह, रविशंकर की हंसी और चुटकुले से गांव में हमेशा हर्षोल्लास बना रहा और उनकी कहानी दूर-दराज तक फैल गई। रविशंकर अब सरकारी चुक़दी घोड़ी के साथ दिन भर गांव के चरदिवारी चलने लगे। उनके पास इतनी सारी चुटकुले थीं, कि लोग उनसे जीवन के हर मोड़ पर खुशियों की राह ढूंढने लगे। कहानियों और चुटकुलों के जादू से रविशंकर गांव के लोगों के मन में एक अलग ही पहचान बन गए। एक दिन, रविशंकर के पास एक दलित युवक आया और उसने कहा, "भगवान की कृपा से मैं अब अधिक पढ़ाई करना चाहता हूं, पर मेरे पास पढ़ाई के लिए पुस्तकें नहीं हैं। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?" रविशंकर ने उसके सवाल का उत्तर दिया, "तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद ज़रूर करूंगा।" उन्होंने अपने प्रियजनों से संपर्क किया और जल्द ही एक बड़े पैकेट पढ़ाई सामग्री साथ लाए। उस युवक के चेहरे पर खुशी की रौनक देखकर रविशंकर भी बहुत खुश हुए। अब रविशंकर ने गांव के लिए एक शिक्षा केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया। वह खुद भी उस संस्थान में समय-समय पर शिक्षा के सत्र आयोजित करते थे। इसके साथ ही, उन्होंने गांव के बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए रोजगार भी शुरू किया, जिससे उन्हें खुद की कमाई भी होती और गांव के बच्चों को सही रास्ते पर चलाने में मदद मिलती। एक बार गांव के दालाल अपने माल को बेचने के लिए बड़े शोरगुल के साथ गांव आए। उन्होंने लोगों को अपनी धोखाधड़ी से लाभ उठाने की कोशिश की। लोग विवश थे, क्योंकि उन्हें उन दालालों के साथ समझौता करना पड़ जाता था। रविशंकर ने देखा की कुछ नहीं हो सकता और तुरंत उन्होंने उन दालालों की चालाकी का पर्दाफाश कर दिया। उन्होंने सभी को बताया की वे दालाल अपने माल को अधिक मूल्य पर बेचने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बदले में रविशंकर ने गांव के लोगों को स्वयं का उदार धनी बना दिया और उन्हें उन दालालों से अच्छा मूल्य में खरीदने का सुझाव दिया। लोग रविशंकर के विचार से सहमत हो गए और एकजुट होकर दालालों के साथ समझौता करते हुए अच्छे मूल्य पर माल खरीद लिया। रविशंकर के इस साहसिक कदम ने उन्हें लोगों के दिलों में और भी बड़े महानायक की तरह बिठा दिया। इसी तरह रविशंकर की हास्यपूर्ण और नेक आदतें गांव को सामूहिक रूप से उत्साह से देखने लगी। उनके चुटकुले गांव के लोगों के जीवन में खुशियों की किरणें ला रहे थे। रविशंकर ने सिर्फ अपनी हंसी से नहीं, बल्कि अपनी नेक भावनाओं और करुणा से भी गांव के लोगों के दिलों को जीत लिया था। उनकी यह कहानी गांव के अलावा दूर-दराज के अनेक लोगों को प्रेरित करती और उन्हें खुशियों से भर देती। (धन्यवाद)