Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 8186 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( बेटियां ) मुझको न कुछ ख़बर हुई लाडो मेरी कब बड़ी हुई कल तक थी जो घर का हिस्सा आज क्यों मेहमान हुई मुझको न कुछ ख़बर हुई लाडो मेरी कब बड़ी हुई नाज़ो से जिसको हमने पाला मुँह का देकर अपना निवाला बाबुल घर की यह धरोहर आज पिया की जायदाद हुई कल तक थी जो घर का हिस्सा आज क्यों मेहमान हुई मुझको न कुछ ख़बर हुई लाडो मेरी कब बड़ी हुई घर बाबुल का हुआ पुराना पिया घर तुझको अब है जाना बाबुल आँगन की जो थी बग़िया आज पिया का संसार हुई कल तक थी जो घर का हिस्सा आज क्यों मेहमान हुई मुझको न कुछ ख़बर हुई लाडो मेरी कब बड़ी हुई लक्ष्मी के भंडार भरे पिया घर तेरे जब पांव पड़े बाबुल घर की जो थी लक्ष्मी आज पिया की तक़दीर हुई कल तक थी जो घर का हिस्सा आज क्यों मेहमान हुई मुझको न कुछ ख़बर हुई लाडो मेरी कब बड़ी हुई दहेज बलि गर न बेटी चढ़े बेटियाँ न फिर बोझ बने बेटियां कोक में न ऐसे मरे आज क्यों बेटियां अभिशाप हुई कल तक थी जो घर का हिस्सा आज क्यों मेहमान हुई मुझको न कुछ ख़बर हुई लाडो मेरी कब बड़ी हुई जिसने अपनी साँसें दे दी दे दी अपनी दुनिया इस महादान को भी पाकर फिर क्यों दुनिया कंगाल हुई कल तक थी जो घर का हिस्सा आज क्यों मेहमान हुई मुझको न कुछ ख़बर हुई लाडो मेरी कब बड़ी हुई विपिन बंसल