Divya singh 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 52837 0 Hindi :: हिंदी
जीवन एक पहेली है ,जीवन एक पहेली है,खुशियां और गम इसकी सहेली है जीवन एक पहेली है,जीवन एक पहेली है। कभी ये जीवन खूब रुलाती,कभी ये जीवन खूब रुलाती ।तो कभी होठो पे है मुस्कान छोड़ जाती है , कभी खुशियों की सौगात लाती,कभी खुशियों की सौगात लाती, तो कभी तन्हा अकेली छोड़ जाती। कहने को तो सब अपने है, कहने को तो सब अपने है। फिर लगते क्यों सब सपने है । सब का तो साथ है सब का तो साथ है फिर क्यों ये दिल इतना उदास है।। जीवन ने सीखाया अच्छे बुरे की पहचान, जीवन ने सीखाया अच्छे बुरे की पहचान,फिर क्यों हु में इसके हर खेल से अनजान ।जीवन का हैं हर खेल निराला, जीवन का है हर खेल निराला ,कभी अपनो ने लूटा तो कभी गेरो ने संभाला ।। जीवन में कैसी दौड़ ही दौड़ है ,जीवन में कैसी दौड़ ही दौड़ है चारो तरफ लगी पैसों की ही होड़ है । जीवन में कोई क्या लाया है , जीवन में कोई क्या लाया है ,और क्या ले कर जाएगा ,जीवन के इस सच का है सब को ज्ञान , जीवन के इस सच का है सब को ज्ञान, फिर भी लगते क्यों है सब इस सच से अनजान ,कैसी ये पहेली है ,कैसी ये पहेली है ,खुशियां और गम इसकी सहेली है ,जीवन के पहेली है।। दिव्या सिंह