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शहर जैसे

Shubhashini singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google /Yahoo/Bing /instagram/Facebook/twitter 24346 0 Hindi :: हिंदी

शहर जैसे
जहां दिन रात सब बराबर सा लगता हो
चारो तरफ रौशनी ही रौशनी सा लगता हो
पर हमारे हमारे दिल के कोने में अधियारा सा है
शहर जैसे चारो तरफ वो भीड़ वो गाड़ी की आवाजें आती हो
पर हमारा दिल कहीं सुकून सा ढूंढ़ता है
शहर जैसे सब अपने कमो में व्यस्त लगे हो
पर हमारा दिल एक साथी सा ढूंढ़ता है 
शहर जैसे जहां लोगों को फुर्सत ना हो बाते करने की 
पर हमारा दिल बाते करने वाला ढूंढता है
शहर जहां किसी को कोई कमी नहीं होती 
बस कमी होती है इंसानियत की जो सब कुछ 
देख कर भी अनजान सा हो जाता है....

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