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आदिपुरुष -ज़हर ये कैसा तूने उगला

Vipin Bansal 29 Jun 2023 कविताएँ समाजिक #आदिपुरुष 5432 0 Other :: Other

#आदिपुरुष
कविता = ( आदिपुरुष )

ज़हर ये कैसा तूने उगला ! 
मनोज मुंतशिर उर्फ़ मनोज शुक्ला !! 
यह छद्म युद्ध आदिपुरुष ! 
यह सनातन विरुद्ध आदिपुरुष !! 
यह धर्म के विरुद्ध ! 
तूने छेड़ा है युद्ध !! 
साज़िश तहत ये काम हुआ ! 
अनजाने में न अपराध हुआ !! 
मीर जाफ़र की औलाद निकला ! 
मनोज मुंतशिर उर्फ़ मनोज शुक्ला !! 
ज़हर ये कैसा तूने उगला ! 
मनोज मुंतशिर उर्फ़ मनोज शुक्ला !! 

रामायण का चीर - हरण ! 
बॉलीवुड को न आई शर्म !! 
ऐसा क्या ख़ास किया ! 
सेंसर बोर्ड ने जो पास किया !! 
हनुमंत का क्या रूप बनाया ! 
चिराग़ छोड़कर जिन्न है आया !! 
राम ने भी क्या योग किया ! 
रावण पर भी क्या प्रयोग किया !! 
शुक्ला को क्यों मुंतशिर में बदला ! 
शुक्ला से क्या हो गया कंगला !! 
ज़हर ये कैसा तूने उग‌ला ! 
मनोज मुंतशिर उर्फ़ मनोज शुक्ला !! 

फूहड़ता की हदें कर दी पार ! 
ऐसे रखे तूने संवाद !! 
मनोरंजन का साधन समझा !
इसको तूने भोजन समझा !! 
ऐसे कर दिए इसके किरदार !
रामायण हो जैसे कोई उपन्यास !! 
खूब उड़ाया तूने उपहास !
काल्पनिक हो जैसे वेदों का संसार !! 
तेरा ईमान तभी से फिसला ! 
मुंतशिर ने जब शुक्ला को निगला !! 
ज़हर ये कैसा तूने उगला !
मनोज मुंतशिर उर्फ़ मनोज शुक्ला !! 

विपिन बंसल

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